रविवार, 15 मई 2011

१०० में ९० बेईमान फिर भी मेरा देश महान

आज सुबह एक ऐसे खबर पड़ी की तबियत बिगड़ गई, तेल कंपनियों ने पेट्रोल के दामो में फिर से बढोतरी कर दी है, वो भी कम नहीं पूरे ५/- रूपया प्रति लीटर, इसके अलावा रसोई गैस एवं डीजल के दामो में भी अगले हफ्ते तक बढोतरी हो सकती है, दूध के दाम भी २/- रुपया प्रति लीटर एक दिन पहले ही बढ गया है, सब्जियां तो  खाना पहले से ही कम कर दिया है अब दूध भी पीना छोड़ना पड़ेगा, देश के भविष्यों भी अब पानी पिला कर मजबूत बनाया जाएगा जो की वैसे भी बड़ी मुश्किल से इस देश में लोगो को नसीब हो रहा है, ताकि वो आगे चलकर इस देश को अपने मजबूत कंधो से संभाल सकें   माननीय वित्त मंत्री जी का बयान आया है की मार्केटिंग कंपनियों की वजह से कीमते बड़ी है हम कुछ नहीं कर सकते,  तेल कंपनियों ने स्वयं ही तेल की कीमते बड़ाई है , माननीय वित्त मंत्री महोदय उन्हें तेल की कीमतें बढाने का अधिकार भी आप की ही सरकार ने दिया है ताकि कोई आप पर इल्जाम न लगाए लेकिन हमे पता है उन्हें कीमते चुनाव  हो जाने के बाद बढाने की लिए भी आप ही लोगो ने समझाया है  क्यूंकि बेवकूफ वोटर्स अपनी ताकत तब तक आप को सौंप चुके होंगे फिर जो हम चाहेंगे वैसा होगा, आपकी सरकार तो वैसे भी कुछ नहीं कर सकती चाहे २ जी स्पेक्ट्रूम घोटाला हो, चारा घोटाला हो, देश की संसद में हमला हो या मुंबई हमले में मारे गए लोगो का मामला हो, या विदेशी बैंको में काला धन जमा हो आप तो उन लोगो के नाम भी यहाँ की जनता को बताना नहीं चाहते क्यूंकि आप लोग तो इस देश के वासी और हम तो बाहर से आकर आप लोगो पर बोझ बने हुए हैं हमारी जरुरत तो आपको केवल चुनाव के समय ही पड़ती है, भारत निर्माण का नारा देने से भारत का निर्माण नहीं होगा मंत्री जी इस देश में अभी भी कई लोगो को समय पर खाना नही मिलता, रोजगार नहीं है, किसान आत्महत्या कर रहे है उस विषय में भी सोचिये, वातानुकूलित गाडी में बैठकर सडको पर निकलने से सड़क पर कितनी गर्मी है इसका एहसास नहीं होगा, आप लोग अपने मंत्रियो के खर्चे कम क्यों नहीं करते, अफजल और कसाब को खिला पिला कर उनकी सेहत तो बनवा सकते हो लेकिन उन्हें फांसी की सजा देने में आप लोगो को परेशानी हो जाती है, आप लोगो को अपनी तनख्वाह बढानी होती है तो केवल १/२ घंटे में बढवा लेते हो लेकिन सरकारी कर्मचारियों  की तनख्वाह आप लोग तब तक बढाने की नहीं सोचते जब तक वो लोग सडको पर उतरकर  चक्का जाम नहीं कर देते, उसमे भी कई विसंगतिया होती है जो की अगले वेतन आयोग के आने तक भी पूरी नहीं होती.  माननीय देश की सरकार से अनुरोध है की देश की गरीब एवं लाचार जनता को इतना मत दबाइए की उसकी सहन करने की क्षमता भी खत्म हो जाए. देश की जनता आप लोगो के साथ है तो इसका मतलब ये नहीं की आप हमे इस कदर तडपाये, नहीं तो जनता यही कहेगी हमे तो अपनों ने लुटा गैरों में कहाँ दम था.............................रजिया गुंडों में फंस गयी,
                                                        भारत माता की जय !