बुधवार, 8 सितंबर 2010
Caste war
हमारी न्यायपालिका और सरकार ने अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग को उनकी जाति से संबोधित करने वालो के लिए सजा का प्रावधान रखा है, परन्तु दूसरी और उन्हें स्वयं जाति प्रमाण पत्र देकर ये विश्वास दिला रही है की वो नीच जाति से सम्बंधित हैं, क्या उन्हें जाति प्रमाण पत्र देना स्वयं में नियमो का उल्लंघन नहीं है, एक आम आदमी यदि किसी को उसकी जाति से संबोधित करता है तो उसे सजा मिलनी चाहिए, परन्तु यही कार्य न्यायपालिका लिखकर दे तो उसमे कोई गुनाह नहीं है, ये कैसा इस देश का कानून है जो भेदभाव रखता है, हमें इस तरह के कानून पर दुबारा विचार करने की आवश्यकता है और साथ ही साथ इसको बदलने की भी आवशयकता है
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