बुधवार, 8 सितंबर 2010

Naxalities

नक्सलवाद की समस्या से आज देश झूझ रहा है परन्तु सरकार इस विषय में कुछ भी नहीं कर पा रही है, जो कुछ भी अभी तक हुआ है उससे हमे एक ही बात देखने में आती है की नक्सलियों को देश में समर्थन प्राप्त है और नक्सलीयो के पास पर्याप्त मात्रा में संसाधन भी हैं, मेरा मानना है की हमे नक्सलियों से लगातार संपर्क बनाये रखना चाहिए और उन्हें बातचीत के लिए आमंत्रित करते रहना चाहिए, क्योंकि ये कोई विदेशी आक्रमणकारी तो हैं नहीं ये हमारे ही भाई हैं जो शायद खुद भटक गए हैं या हमारे देश की नीतियों द्वारा भटका दिए गए हैं, कोई भी आदमी हथियार उठाना पसंद नहीं करता  खासकर इस देश का गरीब किसान परन्तु समाज के ठेकेदारों द्वारा जब उनका शोषण चरम पर पहुँच जाता है और न्याय की कोई उम्मीद नहीं दिखती, उनका सब कुछ उन्हें लुटता ही दीखता है ना अपना ना ही अपने बच्चों का भविष्य उन्हें किसी तरह से सुखद होगा ऐसा महसूस होता है,  तब मजबूर होकर वह  हथियार उठाता है, यह देश की सरकार को सोचना है की वो किश तरह से देश के गरीब किसान के जीवन स्तर को सुधार सकती है, जो किसान हमारा पेट भरने के लिए दिन रात खेती बाड़ी करता है आज वही किसान इस देश में भूखा मर रहा है, कोई आत्महत्या कर रहा है तो कोई सरकार के खिलाफ हथियार उठा रहा है, हमे इस समस्या से निबटने के लिए उनका जीवन स्तर सुधारना होगा बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की उचित व्यवस्था करनी होगी, मुझे सरकार के इस कदम की प्रशंसा करनी होगी जिसमे ये घोषणा हुई है की सरकार नक्सल पीड़ित राज्यों में केंद्रीय विद्यालय खोलने वाली है, ऐसे ही कुछ और अच्छे कदमो की आवश्यकता है, यही कदम आज से २० साल पहले लिए जाते तो शायद ये समस्या इतनी गंभीर नहीं होती, लेकिन कहते है देह आयद दुरुस्त आयद, उम्मीद करता हूँ की सरकार इन नक्सल पीड़ित राज्यों के लिए और अच्छी योजनाये लाएगी  और सबसे बड़ी बात उन योजनाओ को लागु करेगी और उनका फायदा सही लोगो तक पहुंचाएगी  जो इस देश की बड़ी विडंबना है की सही वस्तु जरूरतमंद के पास नहीं पहुँच पाती.

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